अव्यय
अव्यय
किसी भी भाषा के वे शब्द अव्यय (Indeclinable या inflexible) कहलाते हैं जिनके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक, काल इत्यादि के कारण कोई विकार उत्पत्र नहीं होता। ऐसे शब्द प्रत्येक स्थिति में अपने मूलरूप में बने रहते है। चूँकि अव्यय शब्दों का रूपान्तर नहीं होता, इसलिए ऐसे शब्द अविकारी होते हैं। अव्यय का शाब्दिक अर्थ है- ‘जो व्यय न हो।’ आइये सीखते हैं संस्कृत अव्यय
उच्चैः (ऊँचा)
- सिंहः उच्चैः गर्जति। (शेर जोर से दहाड़ता है)
- कुक्कुरः उच्चैः बुक्कति। (कुत्ता जोर से भौंकता है)
च (और)
- रामः लक्ष्मणः च।(राम और लक्ष्मण )
- बालकः बालिका च हसतः।(बालक और बालिका हसते हैं )
श्वः (आने वाला कल)
- अहम् श्वः आपणं गमिष्यामि। ( मैं कल बाजार जाउंगा/जाऊँगी)
- श्वः मंगलवासरः अस्ति। (कल मंगलवार है )
ह्यः (बीता हुआ कल)
- रविवासरः ह्यः आसीत्।(कल रविवार था)
- ह्यः दीपोत्सवः आसीत्।(कल दीपावली थी)
अद्य (आज)
- सोमवासरःअद्य अस्ति।(आज सोमवार है)
- अद्य अवकाशः अस्ति।(आज छुट्टी है)
अत्र – तत्र (यहाँ – वहाँ)
- अहम् अत्र कुशली अस्मि भवान् तत्र कथम् अस्ति। (मैं यहाँ ठीक हूँ आप वहाँ कैसे हैं)
- अत्र कक्षा चलति तत्र किं भवति।(यहाँ कक्षा चल रही है वहां क्या हो रहा है)
यत्र (जहाँ )
- अध्ययनं यत्र भवति तत्र गच्छ।(जहाँ पढाई होती है वहां जाओ)
- यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। (जहाँ नारियों का सम्मान होता है वहाँ देवता भी वास करते हैं )
कुत्र (कहाँ)
- भवान् कुत्र अस्ति । (आप कहाँ हैं)
- त्वं कुत्र गच्छसि।(तुम कहाँ जा रहे हो)
इदानीम् (अभी)
- इदानीम् /अधुना साम्प्रतम् अहं गृहे अस्मि। (अभी घर पर हूँ)
- इदानीं /अधुना साम्प्रतं त्वं कुत्र असि। (अभी तुम कहाँ हो)
यदा – तदा (जब – तब)
- विद्यालये यदा अवकाशः भवति तदा आनन्दः भवति। ( विद्यालय में जब छुट्टी होती है तो आनन्द होता है)
- यदा शिक्षकः आगच्छति तदा छात्राः शान्ताः भवन्ति।(जब शिक्षक आते हैं तो छात्र चुप रहते हैं )
कदा (कब)
- भवान् कदा गच्छति। (आप कब जाते हो/जा रहे हो)
- त्वं कदा उत्तिष्ठसि।( तुम कब उठते हो)
सहसा (अचानक)
- सः सहसा पतितः।(वह अचानक गिर पड़ा)
- रामः सहसा हसति।(राम अचानक हसता है)
वृथा (व्यर्थ)
- त्वं वृथा मा वदतु। ( तुम व्यर्थ मत बोलो)
- वृथा मा अटतु (घूमो)। (व्यर्थ मत घूमो )
शनैः (धीरे)
- कच्छपः शनैः चलति। (कछुआ धीरे चलता है)
- बालिका शनैः वदति।(लड़की धीरे बोलती है)
अपि (भी)
- शुभंकरः पठति अहम् अपि पठामि। (शुभंकर पढता है मई भी पढ़ता हूँ)
- उदिता विद्यालयं गच्छति अहम् अपि गच्छामि। (उदिता विद्यालय जाती है मैं भी जाती हूँ)
कुतः (कहाँ से)
- ऋचा कुतः आगच्छति। (ऋचा कहाँ से /किधर से आ आती है/आ रही है )
- गङ्गा कुतः प्रभवति। (गंगा कहाँ से/किधर से निकलती है)
इतस्ततः (इधर – उधर)
- केचन छात्राः इतस्ततः अटन्ति।(कुछ छात्र इधर –उधर घूमते हैं)
- वने पशवः इतस्ततः भ्रमन्ति।(जंगल में पशु इधर उधर घूमते हैं)
यदि – तर्हि (यदि – तब)
- पिपासा यदि अस्ति तर्हि जलं पिबतु। (यदि प्यास है तो पानी पियो )
- यदि बुभुक्षा अस्ति तर्हि भोजनं करोतु। (यदि भूख है तो भोजन करो)
यावत् – तावत् (जब तक – तब तक)
- जलम् यावत् अस्ति तावत् जीवनम् अस्ति। (जब तक जल है तब तक जीवन है)
- यावत् कक्षा चलति तावत् पठतु। ( जब तक कक्षा चलती है तब तक पढ़ो)
गृहकार्य –
उपर्युक्त अव्ययों का प्रयोग करके 10 वाक्यों का निर्माण कीजिये
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