संवाद लेखन
संवाद लेखन को जानने के लिए सर्वप्रथम हमें संवाद के बारे में जानना होगा। क्या आपको मालूम है की संवाद किसे कहते हैं? नहीं, तो आइये जानते है क्या होता है संवाद।
संवाद –
सामान्य भाषा में संवाद को हम वार्तालाप कह सकते हैं। सामान्यरूप से समाज में हम देखते है की जब दो व्यक्ति आपस में बातचीत कर रहे हों तो वह वार्तालाप ही संवाद कहा जाता है।
अब मन में यह प्रश्न होना चाहिए। कि कभी कभी हम स्वयं से भी बात करते हैं। तो क्या वार्तालाप अकेला व्यक्ति कर सकता है? हाँ कर सकता है। किन्तु वह वार्तालाप की अलग श्रेणी में आएगा जिसे अन्तः वैयक्तिक संवाद कहा जाता है।
वैसे संवाद या वार्तालाप या सम्प्रेषण कई प्रकार का होता है। किन्तु प्राम्भिक स्तर पर हमे सिर्फ इतना ज्ञान होना आवश्यक है। कि दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य होने वाली बातचीत को संवाद कहा जाता है।
वार्तालाप/संवाद लेखन के समय कुछ आवश्यक बातें जो छात्रों को ध्यान रखनी चाहिए
परस्पर वार्तालाप / संवाद लेखन के समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
- संवाद छोटे, सहज तथा स्वाभाविक हों।
- संवादों में रोचकता एवं सरसता हो।
- इनकी भाषा सरल, स्वाभाविक और बोलचाल के निकट हो।
- संवादों की भाषा पात्रानुकूल होनी चाहिए।
- संवादों में क्रमबद्धता का ध्यान रखना चाहिए अर्थात् एक पात्र का संवाद दूसरे संवाद से परस्पर जुड़ा होना चाहिए।
- पात्रों के मनोभावों एवं मुद्राओं को कोष्ठकों में लिखना चाहिए। जैसे – राम ने (मुस्कुराते हुए) श्याम से पूछा और श्याम ने (हसते हुए) उत्तर दिया
- संवादों में भावानुसार विराम-चिह्नों का प्रयोग करना चाहिए। जैसे – अरे! यह क्या किया। छोडो,मैं चला जाता हूँ आदि
आइये एक उदाहरण के द्वारा हम सीखेंगे की संवाद लेखन कैसे किया जाता है।
पिता और पुत्री के बीच संवाद
श्वेता ने अपने पिता जी को संबोधित करते हुए कहा
श्वेता – पिता जी, मुझे अपने दोस्तों के साथ खेलने जाना है।
पिता – नहीं श्वेता बेटा, कोरोना की वजह से अभी घर से बाहर खेलना तुम्हारे और तुम्हारे दोस्तों के लिए सुरक्षित नहीं है। और तुम्हारे स्कूल भी आज से खुल गए हैं। तो अपनी दोस्तों से कहो कि घर पर रहो और पढाई करो।
श्वेता – जी पिता जी, आप ठीक कह रहे हैं। मैं अपनी दोस्तों को बोल देती हूँ।
पिता – श्वेता ! बेटा अपना ग्रीष्म- अवकाश का गृहकार्य कर लिया।
श्वेता – जी पिता जी, कर लिया है और कल सर को भेज भेज दूंगी।
पिता – (मुस्कुराते हुए) बहुत अच्छी बात है । ……….
श्वेता – (पास आकर) पिता जी मैं अपने सभी कार्य समय पर करने की आदत बना रही हूँ ।
पिता – (पिताजी ने श्वेता को गले लगा लिया और कहा) बहुत ही अच्छी बात है क्योंकि कहते हैं
नोट – हम संवाद लेखन के और अभ्यास अगली कक्षाओं में करेंगे………..
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