उपनिषद – एक परिचय

उपनिषद – भाग-2   उपनिषदकाल के पूर्व  : वैदिक युग वैदिक युग सांसारिक आनंद एवं उपभोग का युग था। मानव मन की निश्चिंतता, पवित्रता, भावुकता, भोलेपन व निष्पापता का युग था। …

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उपनिषद – एक परिचय

उपनिषद – भाग-१  उपनिषद् हिन्दू धर्म के महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ हैं। ये वैदिक वाङ्मय के अभिन्न भाग हैं। इनमें परमेश्वर, परमात्मा-ब्रह्म और आत्मा के स्वभाव और सम्बन्ध का बहुत ही दार्शनिक …

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नासदीय-सूक्त

नासदीय  सूक्त नासदीय सूक्त ऋग्वेद के दशवें मण्डल का 129वां सूक्त है इसके मंत्र दृष्टा ऋषि परमेष्ठी प्रजापति हैं और देवता परमात्मा हैं यह सूक्त एक दार्शनिक सूक्त है सृष्टि के …

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संवादसूक्त

कुछ मुख्य संवादसूक्त –  वे सूक्त, जिनमें दो या दो से अधिक देवताओं, ऋषियों या किन्हीं और के मध्य वार्तालाप की शैली में विषय को प्रस्तुत किया गया है, प्राय: …

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प्रातिशाख्य

         प्रातिशाख्य :    ‘प्रति‘ अर्थात्‌ तत्तत्‌ ‘शाखा‘ से संबंध रखनेवाला शास्त्र अथवा अध्ययन। यहाँ ‘शाखा‘ से अभिप्राय वेदों की शाखाओं से है। प्रातिशाख्यों का विषय:  1-वैदिक मंत्रों के शुद्ध उच्चारण, …

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पाठभेद- वैदिक

पाठभेद प्रकृति पाठ विकृति पाठ- अष्टौ विकृतयः 1-संहिता भगवान् 1.जटापाठ व्याडि 2-पदपाठ रावण 2.मालापाठ वशिष्ठ 2.1-पद पाठ कर्ता ऋषि- 3.शिखापाठ भृगु ऋग्वेद शाकल शाखा- शाकल्य ऋषि 4.रेखापाठ अष्टावक्र यजुर्वेद तैत्तरीय …

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वेद-एक परिचय

वेद शब्द सुनते ही  आपके मस्तिष्क में क्या विचार आता है? वेद शब्द सुनते ही  आपके मस्तिष्क में क्या विचार आता है? शायद सबसे पहले विचार आता होगा। कि वेद  हिन्दू …

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