नीतिश्लोक – नीतिशतकम् – साहित्य सङ्गीत कला विहीनः……

श्लोक -वाचन  भावार्थ  साहित्य (गद्य,पद्य, नाटक आदि साहित्य) सङ्गीत (संगीत) कला (कौशल) विहीनः (बिना) साक्षात्पशुः (प्रत्यक्ष जानवर) पुच्छ (पूँछ) विषाण (सींग) हीनः (बिना)। तृणं (तिनका/ घास) न खादन्नपि (न खाते …

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नीतिश्लोक -विदुरनीति-अभियुक्तं  बलवता दुर्बलं हीनसाधनम्

प्रस्तावना  धृतराष्ट्र व्याकुल थे उन्होंने दूत भेजकर विदुर से मिलने की इच्छा जाहिर की। दूत का सन्देश पाकर विदुर धृतराष्ट्र से मिलने महल पहुंचे। धृतराष्ट्र संजय को लेकर बहुत परेशान …

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गीtaज्ञाn

श्रीभगवान अर्जुन से कहते हैं – जैसे इस देह में बाल्यावस्था, युवावस्था, वृद्धावस्था आती है वैसे ही अन्य शरीर की प्राप्ति होती है और इस विषय में धैर्यवान पुरुष मोह …

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सर्वे भवन्तु सुखिनः

1 2 सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत् ॥ सभी सुखी हों सभी निरोगी हों और सभी शुभ घटनाओं के साक्षी बनें कोई भी …

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सन्मित्रलक्षणमिदं

पापान्निवारयति योजयते हिताय ,गुह्यं च गूहति गुणान् प्रकटीकरोति ।आपद्गतं  च न जहाति ददाति काले , सन्मित्रलक्षणमिदं प्रवदन्ति सन्तः । । जो मित्र को बुरे कार्यों से दूर करता है, और …

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